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राजनीतिक जागरूकता और आदिवासी महिलाएं
Dr. Jasinta Minj
Abstract:
भारत में, आदिवासी महिलाएं सदैव से ही सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से हाशिए पर रही हैं। लैंगिक भेदभाव और सामाजिक रीति-रिवाजों के बोझ से दबी, इन महिलाओं को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। शिक्षा और अवसरों की कमी, राजनीतिक भागीदारी में बाधाएं, और लैंगिक हिंसा जैसी समस्याएं इनकी दैनिक जीवन का हिस्सा बन गयी हैं। लेकिन, पिछले कुछ दशकों में, आदिवासी महिलाओं में राजनीतिक जागरूकता बढ़ने की सकारात्मक प्रवृत्ति देखी जा रही है। शिक्षा के प्रति बढ़ती रुचि, सामाजिक कार्यकर्ताओं के प्रयासों, और सरकारी योजनाओं ने इन महिलाओं को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। राजनीतिक जागरूकता आदिवासी महिलाओं को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक बनाती है। यह उन्हें अपनी आवाज उठाने और सामाजिक परिवर्तन लाने में सक्षम बनाती है। राजनीतिक प्रक्रिया में भागीदारी के माध्यम से, आदिवासी महिलाएं अपने समुदायों के विकास और नीति निर्माण में योगदान दे सकती हैं। राजनीतिक जागरूकता महिलाओं को नेतृत्व की भूमिका निभाने और अपने समुदायों का मार्गदर्शन करने के लिए प्रेरित करती है। राजनीतिक भागीदारी महिलाओं को लैंगिक भेदभाव और सामाजिक अन्याय के खिलाफ लड़ने में मदद करती है।