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  • जयशंकर प्रसाद के नाटकों में राष्ट्रीय सांस्कृतिक चेतना


सोनिया सांगवान

Abstract: जयशंकर प्रसाद हिन्दी के उन महान कवियों में गिने जाते हैं जो भारतीय संस्कृति के पोषक एवं उद्गाता है। उनके नाटकों में उनकी सांस्कृतिक दृष्टि अभिव्यक्त हुई है। प्रसाद जी की नाट्यकृतियां पौराणिक युग से लेकर हर्षवर्धन युग तक के भारतीय इतिहास के स्वर्णिम एवं गौरवमयी कालखंड पर आधृत हैं तथा इन सभी कृतियों में भारतीय संस्कृति की शान्ति, समृद्धि एवं औदात्य का भास्वर चित्र प्रस्तुत किया है। प्रसाद जी ने अपने नाटकों के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना जागृत की तथा भारत के अतीत ‘गौरव का गान कर देश के युवाओं को स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित किया।

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