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रामचरितमानस में वर्णित घटनाओं में वैज्ञानिकता
डॉ. शिवदयाल पटेल
Abstract:
वर्तमान परिवेश को विज्ञान का युग कहा जाता है। आज विज्ञान ने इतनी प्रगति की है कि मनुष्य के जीवन शैली में आमूल चूल परिवर्तन आ गया है। साथ ही साथ सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक तथा नैतिकता के क्षेत्र में विविध प्रकार के परिवर्तन होते जा रहे है । आज के भौतिकवादी युग में हमारे दैनिक जीवन में बहुत सी वस्तुएँ जुड़ी हुई है। जिसमें रेडियो, टेलिफोन, टेलिविजन, कम्प्यूटर, इंटरनेट, भ्रमणध्वनी आदि आविष्कारों के रूप में हमें अनेक प्रकार की विलासता की वस्तुएं प्राप्त हुई हैं। विज्ञान के परिवेश में रहते हुए आज मनुष्य विज्ञानमयी बन गया है। वर्तमान युग में न जाने ऐसे कितने रहस्यपूर्ण विज्ञान छुपे हैं, जिनसे हम अभी तक अनजान हैं। वैज्ञानिकों एवं खोजकर्ताओं द्वारा नित नवीन नई-नई खोजें की जा रही हैं, वह प्राचीन समय से ही मौजूद थी, किन्तु आज ज्ञान, विज्ञान और तकनीकी के माध्यम से उपलब्धियाँ हासिल की। जिसमें कुछ खोजें ऐसी होती हैं जो मानव जाति के हित में होती है कुछ खोजें ऐसी भी होती है जो मानव जाति, प्रकृति एवं जीव-जन्तुओं के हित में नहीं होती। ऐसे कुछ अनजाने रहस्यों की करने का प्रयास किया जा रहा है। वह भक्ति कालिन कवियों की देन है। विज्ञान के आविर्भाव से पूर्व समाज पर भक्ति और ज्ञान का प्रभाव था। इसलिए आरम्भ के वैज्ञानिकों में हम शुद्ध विज्ञान के दर्शन नहीं करते थे। किन्तु आज ज्ञान के साथ विज्ञान ने भी इतनी प्रगति की है कि सारे काम-काज टेक्नोलॉजी के माध्यम से हो रहा है। इस के सामने प्राचीन विज्ञान फीका होता गया। ऐसी स्थिति में भारतीय कवियों की रचनाओं में विज्ञान के कई बिन्दु सामने आये हैं, इसकी जाँच होनी आवश्यक है। सामाजिक चिन्तन के साथ वैज्ञानिक ज्ञान की जानकारी रामचरितमानस में उपलब्ध है। जिसे हम सातों कांड में देखेंगे-