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भिवानी जिले में हरित क्रांति के बाद कृषि का बदलता हुआ स्वरूप एंव प्रभाव का एक अध्ययन
डॉ. धर्मबीर सिंह
Abstract:
‘‘हरित क्रांति‘‘ शब्द का तात्पर्य (ळतममद त्मअवसनजपवद डमंदपदह) विश्व स्तर पर आधुनिक उपकरणों और विधियों का उपयोग करके कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने की प्रक्रिया से है। दूसरे शब्दों में, कृषि उत्पादकता हरित क्रांति (ळतममद त्मअवसनजपवद) से जुड़ी है। विश्व भर में, आधुनिक तकनीकों और तकनीकों को कृषि पर लागू नहीं किया गया, जिससे कृषि उत्पादन (।हतपबनसजनतंस च्तवकनबजपवद) में वृद्धि को रोका गया। कई देशों में पर्याप्त भोजन की कमी एक प्रमुख मुद्दा हुआ करती थी क्योंकि पारंपरिक कृषि में कम भोजन का उत्पादन होता था जबकि जनसंख्या बढ़ रही थी। इन सभी देशों में भारत के साथ मुद्दा एक जैसा था। इन सभी समस्याओं का सामना करने के लिए दुनिया भर में कृषि के क्षेत्र में उच्च उपज देने वाली किस्म के बीज, सिंचाई सुविधाएं, ट्रैक्टर, शाकनाशी और उर्वरक कुछ आधुनिक तरीके और तकनीकें अपनानी पड़ीं। यही सबको देखते हुए, खाद्य आपूर्ति की तुलना में तेजी से बढ़ रही आबादी द्वारा उपज को बढ़ावा देने के लिए कठोर और तीव्र कार्रवाई की आवश्यकता पैदा की गई थी। इस कार्रवाई ने हरित क्रांति का रूप ले लिया, जिससे विश्व स्तर पर हरित क्रांति (ळतममद त्मअवसनजपवद पद ॅवतसक) की शुरुआत हुई।