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1
  • शारीरिक शिक्षणातील विद्यार्थ्यांच्या सहभाग, आनंद आणि शारीरिक सक्रियता स्तरांचा तुलनात्मक अभ्यास


मुकुंद लक्ष्मण जाधव, डॉ. राजेंद्र रामचंद्र वामन,

Abstract: शारीरिक शिक्षणातील सहभाग आणि आनंद म्हणजे शिक्षणाच्या प्रमुख भाग आहे. नियमित शारीरिक उपक्रम राखण्यासाठी आणि विद्यार्थ्यांमध्ये शाश्वत शारीरिक हालचालींना प्रोत्साहन देण्यासाठी सहभाग आणि आनंद हे महत्त्वाचे घटक आहेत. शारीरिक शिक्षण वर्गातील मनोरंजक उपक्रम आणि सर्वसाधारण शारीरिक सुदृढता उपक्रम विद्यार्थ्यांच्या शारीरिक सहभाग, आनंद आणि शारीरिक सक्रियता स्तर वाढवू शकतात का हे सध्याच्या अभ्यासात तपासले गेले. हा अभ्यास करत असताना शारीरिक शिक्षण वर्ग ३० तासिका घेण्यात आल्या. त्यामध्ये मनोरंजन उपक्रम १५ तासिका व सर्वसाधारण शारीरिक सुदृढता उपक्रम १५ तासिका वर्गीकरण करून घेण्यात आल्या. ९ ते ११ वर्ष वयोगटातील पुण्यातील संस्कृती शाळेमधील नियमित एकूण 30 विद्यार्थ्यांचा (मुले/मुली) नमुना म्हणून वापर केला गेला. मनोरंजक उपक्रम आणि सर्वसाधारण शारीरिक सुदृढता उपक्रम यामध्ये शारीरिक सहभाग, आनंद आणि शारीरिक सक्रियता स्तर कसा आहे? हे बघण्यासाठी शिक्षक निर्मित प्रश्नावली च्या साह्याने माहितीचे संकलन केले. प्रश्नावलीद्वारे उपलब्ध होणाऱ्या माहितीचे विश्लेषण करण्यासाठी वर्णनात्मक सांख्यिकी मध्ये मध्यमान, प्रमाण विचलन, प्रमाणित त्रुटी व तुलना करण्यासाठी स्वतंत्र टी चाचणी या संख्याशास्त्रीय साधनांचा वापर करून निष्कर्ष काढण्यात आला. आम्हाला आढळून आले की मनोरंजन उपक्रम मध्यमान फरक आहे सहभाग, आनंद आणि शारीरिक सक्रियता स्तर या सगळ्या ठिकाणी जास्त आहे. सगळीकडे सार्थक स्तरावर सार्थक फरक असल्याने शारीरिक शिक्षणात मनोरंजन उपक्रम हा प्रभावशाली ठरतो.

1-8
2
  • जयपुर जिले के उच्च माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की भावनात्मक परिपक्वता एवं स्मार्ट मोबाइल फोन के उपयोग के मध्य संबंध का अध्ययन


रेखा पंवार डाॅ. श्रद्धा सिंह चैहान

Abstract: प्रस्तुत षोध का मुख्य उद्देष्य उच्च माध्यमिक स्तर (कक्षा-11) के विद्यार्थियों की भावनात्मक परिपक्वता एवं स्मार्ट मोबाइल फोन के उपयोग के मध्य संबंध का अध्ययन करता है। अध्ययन में जयपुर जिले के कक्षा-11 में अध्ययनरत् 160 विद्यार्थियों को न्यादर्ष के रूप में लिया गया है। न्यादर्ष के चयन हेतु यादृच्छिक विधि का प्रयोग किया गया है। षोध में सर्वेक्षण विधि का प्रयोग किया गया है। स्मार्ट मोबाइल फोन से संबंधित आंकड़ों के संग्रहण हेतु ‘‘डाॅ. विजय श्री एवं डाॅ. अंसारी‘‘ द्वारा निर्मित स्मार्ट फोन की लत् मापनी का उपयोग किया गया है तथा भावनात्मक परिपक्वता के मापन हेतु ‘‘तारा सभापति‘‘ द्वारा निर्मित मापनी काम में ली गई है। आंकड़ों का विष्लेषण माध्य एवं सहसंबंध गुणांक के द्वारा किया गया है। प्रस्तुत अध्ययन से यह निष्कर्ष प्राप्त हुआ है कि उच्च माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की भावनात्मक परिपक्वता तथा स्मार्ट मोबाइल फोन के उपयोग के मध्य सार्थक ऋणात्मक सहसंबंध है।

9-15
3
  • डाॅ0 राम मनोहर लोहिया के विचारों का भारतीय राजनीति पर प्रभाव


प्रिया सिन्हा, प्रो0 (डाॅ0) इरा यादव

Abstract: भारतीय राजनीतिक इतिहास में डाॅ0 राम मनोहर लोहिया का नाम एक ऐसे समाजवादी विचारक एवं चिंतक के रूप में विख्यात है। डाॅ0 लोहिया एक सर्वथा नवीन समाजवाद को प्रतिष्ठापित करना चाहते थे। वह राष्ट्रवादी होते हुए भी अंतर्राष्ट्रीयता के पोषक और विद्रोही एवं क्रांतिकारी होते हुए भी शांति और अहिंसा के पुजारी थे। उनके जीवन का प्रमुख लक्ष्य था, गरीबों का हितचिंतन और कल्याण करना। भारतीय राजनीति उनके चिंतक और दर्शन से अत्यधिक प्रभावित है। चाहे वह गांधीवाद, संविधान और सामाजिक चेतना की शक्ति हो, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है। उनके समाजवादी आंदोलन ने जनमानस और देश पर गहरा प्रभाव डाला है। उन्होंने गहन चिंतन करके स्वयं का समाजवाद विकसित किया। इसलिए वे पूर्व-पश्चिम के मध्य दर्शनों की खाई को पाटकर एक पूर्ण प्रजातांत्रिक और मानवीय समाजवाद की स्थापना करना चाहते थे। डाॅ0 लोहिया भारतीय अध्यात्म और संस्कृति का विकास कर भारत की चुनौतियों और समस्याओं का समाधान भारत के परिप्रेक्ष्य में ही करना चाहते थे।

16-20
4
  • Impact Of Nutritional Awareness, Dietary Intake and Health Status: A Study Of Female College Students In Chandigarh City


Jasneet Kaur Sandhu nee Malhi Dr Ritu

Abstract: The present study utilizes structural equation modelling (SEM) to examine the relationship between nutritional awareness, dietary intake, and health status among female college students residing in Chandigarh City. The research involved a sample of female college students (250), who contributed data on nutritional awareness, dietary consumption patterns, and self-perceived health status via self-report measures. The SEM analysis unveiled noteworthy correlations among health status, dietary intake, and nutritional awareness. The findings of the study revealed that increased levels of nutritional awareness were correlated with more health-conscious dietary habits, which effectively improved the self-perceived health status of the participants. Furthermore, the SEM illustrated the mediating function of dietary intake between nutritional awareness and health status. The significance of promoting nutritional education and awareness programs among college students to improve dietary practices and overall health outcomes is highlighted by these results. Consequences for interventions targeting the promotion of healthier behaviours among urban-dwelling female college students are examined.

21-47
5
  • RUSSIA UKRAINE CONFLICT: EMPACT ON INDIAN ENERGY INDUSTRY


Dr. Niranjan sharma

Abstract: The conflict between Russia and Ukraine has significant ramifications for India\'s energy industry. This is due, in part, to the fact that India is mostly reliant on imported oil and gas, and Russia is a significant supplier of both of these commodities. This abstract\'s objective is to study the potential consequences that the war may have on India, including disruptions in energy supply chains, price volatility in global markets, and strategic implications for energy security. Specifically, the abstract will aim to investigate these potential repercussions. Due to the fact that India is now experiencing geopolitical conflicts, the research demonstrates the challenges that the country confronts in terms of maintaining stable energy prices and receiving trustworthy supply. In addition to this, it highlights the importance of diversifying energy policy and engaging in diplomatic engagements in order to reduce risks and ensure that energy security is maintained continuously.\r\n

48-53
6
  • बाल अपराधियों की सामाजिक परिस्थितियों तथा आर्थिक चुनौतियों का अध्ययन


प्रो आर पी मिश्र

Abstract: बाल अपराधियों के सामाजिक और आर्थिक स्थितियों का अध्ययन उन कारकों को समझने में सहायक हो सकता है जो बच्चों को अपराध की ओर धकेलते हैं। यह अध्ययन उन सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों पर केंद्रित है जो बच्चों के जीवन में अपराध के बीज बोने में प्रमुख भूमिका निभाती हैं। बच्चों का अपराधी बनना केवल उनके व्यक्तिगत निर्णयों का परिणाम नहीं होता, बल्कि उनके आसपास के सामाजिक, पारिवारिक और आर्थिक वातावरण का गहरा प्रभाव होता है।\r\n

54-57
7
  • IDEALISM AND DISILLUSIONMENT: THE POLITICAL AND HISTORICAL COMPLEXITY OFGIRISH KARNAD’S TUGHLAQ


Yashavanta T.S.1, Sikha CS2, Usha SK Raghupathula3, and Akshay Satish4

Abstract: This paper explores Girish Karnad’s Tughlaq as a nuanced response to dominant historical narratives, particularly the colonial and Hindutva historiographies that often depict India’s medieval period in a negative light. Rather than presenting Muhammad bin Tughlaq as a one-dimensional tyrant or failure, Karnad portrays him as a complex figure—one whose grand ambitions and visionary ideals are constantly in tension with his political missteps and personal disillusionment. Through this portrayal, Karnad challenges oversimplified readings of the past, offering instead a layered and intricate view of medieval Indian history. By weaving together Tughlaq’s philosophical musings and political actions, the play invites audiences to reconsider conventional interpretations of history. Ultimately, Tughlaq serves as both a critique and a reimagining of historical narratives, pushing for a more balanced and thoughtful reflection on the complexities of India’s past.

48-55
8
  • भारत के अनुवाद क्षेत्र में हिन्दी की दशा और दिशा


डॉ. राजेन्द्र गंगाधरराव मालोकर

Abstract: भारत के अनुवाद क्षेत्र में हिन्दी की दशा और दिशा पर विचार करते हुए यह स्पष्ट होता है कि हिन्दी भाषा, जो भारत की राजभाषा है, अनुवाद के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भारतीय समाज की बहुभाषिक संरचना के कारण अनुवाद का महत्व सदियों से रहा है, जहाँ विभिन्न भाषाएँ और बोलियाँ एकदूसरे के साथ संवाद करती हैं। अनुवाद का इतिहास वैदिक काल से लेकर आधुनिक युग तक फैला हुआ है, जहाँ संस्कृत, फारसी, उर्दू, अंग्रेजी और अन्य भाषाओं के बीच संवाद स्थापित करने में हिन्दी अनुवाद की भूमिका रही है। आज के समय में शिक्षा, साहित्य, विज्ञान, प्रशासन, और व्यापार के क्षेत्रों में अनुवाद की माँग और भी बढ़ गई है। हालाँकि, इसके साथ ही कई चुनौतियाँ भी सामने आई हैं, जैसे कि तकनीकी और वैज्ञानिक शब्दावली का सही अनुवाद, पेशेवर अनुवादकों की कमी, और अनुवाद की गुणवत्ता में सुधार की आवश्यकता। तकनीकी प्रगति के साथ, जैसे कि मशीन अनुवाद और एआईआधारित सॉफ्टवेयर, अनुवाद कार्य में तेजी आई है, लेकिन हिन्दी के लिए ये तकनीकें पूरी तरह सक्षम नहीं हैं, क्योंकि हिन्दी भाषा की विविधता और सांस्कृतिक संदर्भों को समझना मशीनों के लिए कठिन है। भविष्य में, हिन्दी अनुवाद के क्षेत्र में तकनीकी नवाचारों के साथसाथ पेशेवर अनुवादकों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण होगी। इसके लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों और संसाधनों का विकास आवश्यक होगा। हिन्दी अनुवाद की दिशा अब वैश्विक स्तर पर भी बढ़ रही है, जहाँ हिन्दी को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अधिक मान्यता मिल रही है। हिन्दी अनुवाद का भविष्य डिजिटल युग में और भी उज्जवल हो सकता है, लेकिन इसके लिए हमें अनुवाद की गुणवत्ता, संसाधनों और तकनीकी उन्नति पर ध्यान देना होगा, जिससे हिन्दी एक सशक्त अनुवाद भाषा के रूप में उभर सके।

56-71
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