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1
  • A study on the rise and Fall of the Mughal Empire


Lekh Raj

Abstract: The Mughal Empire, one of the most influential and enduring empires in Indian history, ruled over much of the subcontinent for over 300 years. Its legacy continues to shape India's culture, architecture, and society. The Mughal Empire's roots can be traced back to Central Asia. Babur, a descendant of Timur and Genghis Khan, led a small army from Afghanistan and invaded India in 1526. His victory at the Battle of Panipat marked the beginning of Mughal rule in India. Babur's son, Humayun, briefly ruled but was forced to flee the country.

1-22
2
  • भारत में शासन सुधार और विकास: एक समकालीन दृष्टिकोण


डॉ. सतीश कुमार मीना

Abstract: भारत में शासन सुधार और विकास का परस्पर संबंध देश की प्रगति और नागरिक कल्याण के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। सुशासन पारदर्शिता, जवाबदेही, और प्रभावी नीति निर्माण पर आधारित है, जो समावेशी और सतत विकास का आधार तैयार करता है। इस शोध-पत्र का उद्देश्य भारत में शासन सुधारों की प्रमुख पहलों, जैसे ई-गवर्नेंस, पंचायती राज, और भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों का विश्लेषण करना है। साथ ही, यह विकास पर उनके प्रभाव और मौजूदा चुनौतियों का मूल्यांकन करता है। शोध में डिजिटल इंडिया, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT), और सेवा का अधिकार जैसे कार्यक्रमों की सफलता का अध्ययन किया गया है, जो प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल और प्रभावी बनाने में सहायक रहे हैं। साथ ही, सामाजिक न्याय, आर्थिक विकास, और पर्यावरणीय संतुलन पर शासन सुधारों के प्रभाव का भी विश्लेषण किया गया है।

23-37
3
  • स्वामी विवेकानन्द के शिक्षा दर्शन का अध्ययन


कंचन यादव डॉ संजय कुमार यादव

Abstract: स्वामी विवेकानंद, एक ऐसे महान विचारक थे जिन्होंने भारतीय युवाओं में एक नई चेतना जगाई। उन्होंने न केवल धर्म और अध्यात्म के क्षेत्र में बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में भी अहम योगदान दिया। उनका शिक्षा दर्शन आज भी प्रासंगिक है और हमें एक नई दिशा दिखाता है। स्वामी विवेकानंद के अनुसार शिक्षा का मुख्य उद्देश्य केवल ज्ञान प्राप्त करना नहीं है, बल्कि एक पूर्ण व्यक्ति का निर्माण करना है। उन्होंने जोर दिया कि शिक्षा हमें एक स्वतंत्र, आत्मविश्वासी और सकारात्मक व्यक्तित्व बनाने में मदद करती है। शिक्षा हमें समाज सेवा के लिए प्रेरित करती है और हमें एक बेहतर नागरिक बनाती है। स्वामी विवेकानंद का मानना था कि शिक्षा का मुख्य उद्देश्य चरित्र का निर्माण करना है। उन्होंने कहा कि एक अच्छा चरित्र ही व्यक्ति को सफल बनाता है। स्वामी जी ने शारीरिक और मानसिक विकास को शिक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना। उन्होंने कहा कि एक स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वास होता है। स्वामी जी ने ज्ञान और कौशल के विकास पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि ज्ञान हमें सशक्त बनाता है और कौशल हमें स्वावलंबी बनाते हैं। स्वामी जी ने शिक्षा को समाज सेवा से जोड़ा। उन्होंने कहा कि शिक्षित व्यक्ति को समाज के उत्थान के लिए कार्य करना चाहिए। स्वामी जी ने आत्मविश्वास को शिक्षा का एक महत्वपूर्ण पहलू माना। उन्होंने कहा कि आत्मविश्वास ही हमें सफलता की ओर ले जाता है।

38-42
Collaboration Partners
  • Indian Journals

  • Swedish Scientific
    Publications

  • The Universal
    Digital Library

  • Green Earth Research
    And Publishing House

  • Rashtriya Research Institute
    Of New Medical Sciences

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